चिट्ठाजगत

बुधवार, 21 जनवरी 2009

लम्बी कवायद के फलस्वरूप राज्य निर्माण का कार्य सिफर

बुन्देलखंड राज्य निर्माण के प्रति दोहरा नजरिया रखने वाले दलों को महंगा साबित होगा।जहां बसपा प्रमुख पृथक बुंदेलखंड राज्य की वकालत करती है वही वे इस आशय का प्रस्ताव केंद्र को भेजने से कतराती है . इसका मतलब उनकी सोच में कोई खोट है. इसी तरह कांग्रेस भी बुन्देलखंड की बात करती हैं पर दूसरा राज्य पुनर्गठन आयोग बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती.वर्षो से हो रही कवायद के फलस्वरूप राज्य निर्माण का कार्य सिफर बना हुआ है। कभी केन्द्र सरकार प्रात निर्माण की गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल देती है तो कभी राज्य सरकार इसे किक कर पुन: केन्द्र सरकार के पाले में पहुंचा देती है। ये राजनैतिक दल बुंदेलखण्ड में फैले भ्रष्टाचार, अकाल की स्थिति पर आसू तो बहाते है, लेकिन इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए प्रात का निर्माण करने में पीछे हट जाते है। यही बड़ी वजह है कि बुन्देलखण्ड बड़ी कीमत चुकाने के पश्चात भी प्रात के रूप में पहचान हासिल नहीं कर पा रहा है।बुन्देलखण्ड का मसौदा वर्ष 1955 में ही तय कर लिया गया था, लेकिन तत्समय इसको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका, जिसका खामियाजा आज तक बुन्देलखंडियों को भुगतना पड़ रहा है। कई संगठन प्रात निर्माण के मुद्दे को जीवित बनाये हुए है। प्रात निर्माण के लिए बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी ने उग्र आदोलनों की शुरुआत की है ,इन आदोलनों के पश्चात तेजी से सरकारों का ध्यान बुन्देलखण्ड की बदहाली पर गया . वर्तमान समय में बुन्देलखण्ड में अनेक कार्यक्रम प्रात निर्माण की लड़ाई के लिए चलाये जा रहे है। रैलियों, आदोलनों के फलस्वरूप भी प्रात अब भी देश के नक्शे पर उभर नहीं पाया है। बुन्देलखण्ड में इतना राजस्व प्राप्त होता है जो एक प्रात के लिए जरूरी है। इसके बावजूद भी सरकारे इसे प्रात का नाम देने में सकुचा रही है। बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि सरकारों द्वारा बुन्देलखण्ड को प्रात नहीं बनाने के पीछे बड़े राजनैतिक दल ही है . सपा जैसे भी कई दल है जो अलग प्रात बनाने पर सीधे तौर पर न कर चुके है। उन्हे लग रहा है यदि बुन्देलखण्ड राज्य बन गया तो उनका बड़ा वोट बैंक खिसक जायेगा। बुद्धिजीवी मानते है कि भले ही बुन्देलखण्ड में अशिक्षितों की बड़ी तादाद हो लेकिन समय आने पर इस क्षेत्र के लोग ऐसे राजनैतिक दलों को सबक सिखा देंगे।आगामी लोकसभा चुनाव में यहाँ की जनता इनसे खुलकर बदला लेने के मूड में है

रविवार, 18 जनवरी 2009

बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी बनाएगी एक लाख नए सदस्य

बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य है कि लोक सभा चुनाव से पूर्व पूरे बुंदेलखंड मे सदस्य संख्या कम से कम एक लाख हो जाये. हालाँकि देखने मे यह अत्यंत कठिन काम प्रतीत होता है परन्तु पार्टी संगठन के पदाधिकारी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन रात लगे हुए हैं, बांदा मे सुरेन्द्र तिवारी, झाँसी मे कुवर बहादुर आदिम, छतरपुर मे राजा प्रजापति, चित्रकूट मे लवलीन द्विवेदी ने इस अभियान कि शुरुआत कर दी है.

गुरुवार, 15 जनवरी 2009

बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी की “कारण बताओ रैली"

बांदा। बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी पृथक बुन्देलखंड राज्य का मुद्दा लेकर चुनाव लड़ने की तयारी में जुट चुकी है। चुनाव से पूर्व बुंदेलखंड क्षेत्र के हर मतदाता तक पृथक प्रान्त के औचित्य को पहुचाने के लिए पार्टी ने विभिन्न कार्यक्रम आरम्भ किए हैं। ब्लाक (प्रखंड) स्तर पर टोलियाँ गठित की जा रही हैं जो सम्बंधित प्रखंड के अन्दर आने वाले सभी गावों में बारी-बारी से पहुंचकर वहां संकल्प सभाएं आयोजित करके लोगो को शपथ गृहण करवाई जायेगी तथा पृथक राज्य आन्दोलन में सर्वस्व समर्पण के संकल्प को दोहराया जाएगा। उक्त जानकारी पार्टी संयोजक संजय पाण्डेय ने यहाँ एक प्रेसवार्ता में दी। पाण्डेय ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि फरबरी में बांदा में "कारण बताओ रैली " का आयोजन किया जाएगा जिसमे बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों से आए हजारों आन्दोलनकारी केन्द्र और राज्य सरकारों को घेरते हुए सबाल पूछेंगे कि आख़िर बुन्देलखंड राज्य मसले पर सार्थक कार्यवाही क्यों नही? कारण पूछा जाएगा कि जब मायावती बुन्देलखंड राज्य की पक्षधर है तो वे केन्द्र को प्रस्ताव क्यों नही भेजती? कारण पूछा जाएगा कि जब मनमोहन सिंह समेत पूरी कांग्रेस और यूपीए सरकार बुंदेलखंड राज्य की वकालत करते हैं तो राज्य पुनर्गठन आयोग क्यों नही बनता? कारण पूछा जाएगा कि कांग्रेस और बसपा के सांसद संसद में इस मुद्दे को क्यों नही उठाते?कांग्रेस और बसपा के नेताओं से पूछा जाएगा कि वे बुंदेलखंड राज्य मामले पर फर्जी बयानबाजी कर पॉँच करोड़ बुन्देलखंडी लोगो का भावनात्मक शोषण करने से बाज क्यों नही आते? कारण पूछा जाएगा कि कांग्रेस और बसपा इस मुद्दे के पक्ष में है तो वे बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल क्यों नही करती?कुल मिलाकर बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीफर्जी शिगूफे छोड़ने वालों को बेनकाब करेगी। बांदा के बाद झाँसी और खजुराहो में भी ऐसी रैलियां होगी.

बुधवार, 7 जनवरी 2009

बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी म.प्र.,उ.प्र. तथा दिल्ली की लोकसभा सीटों पर चुनाव लडेगी

झांसी। बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी ने पृथक राज्य निर्माण के मुद्दे पर राजनीति को गरमाने की तैयारी कर ली है। पार्टी बुन्देलखंड व दिल्ली की सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जरूरत पड़ने पर राज्य निर्माण की वकालत करने वाले दूसरे दलों के प्रत्याशियों को समर्थन भी देगी।
पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय ने आज यहां एक होटल में पत्रकारों को राज्य निर्माण की लड़ाई पर राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य निर्माण की मांग एक राजनीतिक मांग है, इसीलिए राजनीतिक दबाव बनाए बगैर इसे पाना कठिन है। इसके लिए जरूरी है कि राज्य निर्माण समर्थक संसद में पहुंचें। इसके लिए मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी सीटों व दिल्ली के बुन्देलखण्डी बहुल क्षेत्र दिल्ली बाहरी व कुछ अन्य सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता अपने दल के प्रत्याशी खड़े करने की रहेगी, लेकिन राज्य निर्माण के प्रबल समर्थक दूसरे दलों के प्रत्याशियों को भी समर्थन दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में छतरपुर जिले की महाराजपुर से पार्टी के समर्थित प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह की जीत से उनके कार्यकर्ताओं व समर्थकों में उत्साह है। अब वे लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए है।
पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुंवर बहादुर आदिम ने कहा कि कुछ लोग बुन्देलखण्ड का मुद्दा लेकर चुनाव जीतकर विधानसभा व लोकसभा में पहुंचे, लेकिन उन्होंने कभी इस मुद्दे को सदन में नहीं रखा। इसीलिए जरूरी है कि राज्य निर्माण के समर्थक विधायक व सांसद अपने दलों के चुनाव घोषणा पत्र में इसे शामिल कराएं। पत्रकार वार्ता में महासचिव शांति स्वरूप पस्तोर, महानगर अध्यक्ष नरेन्द्र कुशवाहा, अवधेश कुमारी पटेल, घनश्याम सिंह व अजय पाण्डेय उपस्थित रहे।

गुरुवार, 1 जनवरी 2009

विकसित प्रदेश बनेगा बुंदेलखंड : संजय पाण्डेय

झाँसी । बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय ने कहा कि यदि भारत की संसद बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए गंभीरता से सोचती है और बुंदेलखंड राज्य का गठन होता है तो जो बुन्देलखंड आज गरीबी और बदहाली के मामले में देश में मशहूर है वही बुन्देलखंड देश के सबसे समृद्ध क्षेत्र के रूप में जाना जायेगा. क्योंकि बुन्देलखंड में संसाधनों की कमी नहीं बल्कि सुशासन और अच्छी नीतियों की कमी है या यूं कहें की दो विशालकाय राज्यों केबीच घिरे होने से ऐसी भौगोलिक संरचना बन जाती है कि दोनों में से कोई भी सरकार चाहकर भी विकास नहीं करवा पाती है .बुन्देलखंड क्षेत्र में बालू ,संगमरमर से लेकर सोना,यूरेनियम और हीरा तक के भण्डार हैं. मानव संसाधन तथा पशु संसाधन ,कृषि संसाधन तथा वन संसाधन यहाँ पर्याप्त है ,सात सात नदियाँ भी बुन्देलखंड क्षेत्र से होकर गुजरती हैं जरूरत है तो सिर्फ उचित जल संचय प्रणाली की और बहुद्देशीय नदी जल परियोजनाओ के गठन की जो कि अलग राज्य बनने पर ही संभव हैं.
 
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