चिट्ठाजगत

बुधवार, 31 दिसंबर 2008

नया वर्ष मुबारक हो

बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी की तरफ़ से सभी हिन्दी चिट्ठाकारों को नया वर्ष मुबारक हो ...वर्ष २००९ में हिन्दी के चिट्ठाकारों की संख्या एक लाख से भी अधिक हो जाए इसी शुभकामनाओं के साथ ....
संजय पाण्डेय ,
राष्ट्रीय संयोजक,
बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी ।

मंगलवार, 30 दिसंबर 2008

बुंदेलखंड,विदर्भ और तेलंगाना का गठन जरूरी : संजय पाण्डेय

नई दिल्ली।जनसंख्या एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के प्रदेशों के आकारों में बड़ी विषमता है। एक तरफ़ बीस करोड़ से भी अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश जैसे भारी भरकम राज्य तो वहीं सिक्किम जैसे छोटे प्रदेश जिसकी जनसंख्या मात्र छः लाख है। इसी तरह एक ओर राजस्थान जैसा लंबा चौडा राज्य जिसका क्षेत्रफल साढे तीन लाख वर्ग किमी है वहीं लक्षद्वीप मात्र 32 वर्ग किमी ही है । किंतु तथ्य बताते है कि छोटे प्रदेशों में विकास की दर कई गुना अधिक है।उदाहरण के लिए बिहार की प्रति व्यक्ति आय आज मात्र 3835 रु है जबकि हिमाचल जैसे छोटे राज्य में यही 18750 रु है । छोटी इकाइयों में कार्य क्षमता अधिक होती है । सिर्फ आर्थिक मामले में ही नहीं बल्कि शिक्षा,स्वास्थ्य जैसे विभिन्न मामलो में भी छोटे प्रदेश आगे हैं। जैसे कि शिक्षा के क्षेत्र में यूपी का देश में 31 वां स्थान है (साक्षरता दर -57%) जबकि इसी से अलग होकर नवगठित हुआ उत्तराँचल प्रान्त शिक्षा के हिसाब से भारत में 14 वां स्थान रखता है (साक्षरता दर -72 %)।बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार यदि भारत को वर्ष 2020 तक विकसित देश बनाना है तो भारत के राज्यों का एक बार पुनर्गठन जरूरी है । पाण्डेय ने कहा कि जब तक भारत में बुन्देलखंड और विदर्भ जैसे अति पिछडे क्षेत्र बदहाल हैं (जहाँ विकास तो दूर लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं) तब तक विकसित भारत की परिकल्पना भी बेमानी होगी। क्योंकि जिस तरह शरीर को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब शरीर के सभी अंग स्वस्थ हों , ठीक उसी तरह भारत को तभी विकसित कहा जायेगा जब इसकी सीमा के भीतर आने वाले सभी भाग समृद्ध होंगे । संजय पाण्डेय के अनुसार बुन्देलखंड जैसे पिछडे क्षेत्रों को नया राज्य बनाकर विकास के नए आयाम स्थापित किये जा सकते हैं. दरअसल अलग राज्य बनने पर केन्द्रित विकास के चलते द्रुत गति से समृद्धि लाई जा सकती है । अपार संसाधनों से भरपूर बुन्देलखंड क्षेत्र में अगर कमी है तो सुशासन की, जो कि अलग प्रान्त बनने कि स्थिति में ही संभव है । उन्होंने कहा कि राज्य बनने से पहले लोग हरियाणा को घास फूस का क्षेत्र कहा करते थे, किन्तु अलग राज्य बनने के बाद आज हरियाणा का विकास समूचे देश के सामने है । आज हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय 16200 रु है। पाण्डेय ने कहा कि भारत के बड़े राज्यों को पुनर्गठित करके छोटे राज्यों का गठन बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका पचास छोटे राज्यों का संघ है इसलिए उसकी सम्पन्नता आज जगजाहिर है। हमारे देश में कुछ लोग छोटे राज्यों का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि उनका मानना होता है कि इससे देश टुकडों में बटता है,किन्तु उनकी यह धारणा विल्कुल गलत है । आज़ादी के समय भारत में 14 प्रदेश थे आज 35 हैं तो क्या इतने सारे नए प्रदेशों के बनने से देश खंडित हुआ?नहीं । तब भी भारत अखंड था ,आज भी अखंड है और कुछ नए राज्य बने तो भी भारत अखंड ही रहेगा।

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

बुन्देलखंड को मिली एक और ट्रेन

बुन्देलखंड क्षेत्र के लोगो को आखिर एक नई रेल गाड़ी मिल ही गयी । चिर प्रतीक्षित महोबा-खजुराहो रेल लाइन का लालू प्रसाद यादव द्वारा आज उदघाटन के साथ ही झाँसी-खजुराहो लिंक ट्रेन को भी हरी झंडी मिल गयी. । यह ट्रेन झाँसी और खजुराहो के बीच चलेगी। इन दोनों स्टेशनों के मध्य २०० किमी का पूरा का पूरा क्षेत्र बुंदेलखंड क्षेत्र में ही आता है,इसलिए इस ट्रेन को बुन्देलखंड की लोकल ट्रेन कहा जा सकता है ।इस ट्रेन की शुरुआत होने से लोगो में खासा हर्ष । है.बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार यह ट्रेन दो भागो में बटे बुन्देलखंड को एकीकृत करने में मददगार साबित होगी.

गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

इंजिनियर हत्याकांड ने खोली बसपा सरकार की पोल

नई दिल्ली. बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी ने औरय्या के इंजिनियर मनोज गुप्ता हत्याकांड की कड़े शब्दों में निंदा की है । पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय ने जारी बयान में कहा है कि इस घटना से बसपा सरकार की लूट प्रथा का खुलासा हो गया। कहा कि बसपा जैसी पार्टियाँ देश की स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रणाली के भविष्य के लिए खतरा हैं। क्योंकि बहुजन समाज पार्टी आज लिमिटेड कम्पनी बनकर रह गयी ,है जहाँ एक मात्र लक्ष्य है, येनकेन प्रकारेण धन इकठ्ठा करना। श्री पाण्डेय ने कहा कि ऐसी पार्टियों को जनता वहिष्कृत करे ताकि आने वाली सरकारें धन उगाही के कदम उठाने से पहले कई बार सोचें।

सोमवार, 22 दिसंबर 2008

बुंदेलखण्ड : गावों में बुजुर्ग और महिलाएं ही शेष

महोबा. पिछले पॉँच वर्षों से भीषण सूखे की चपेट में रहे बुन्देलखंड क्षेत्र में इस बार औसत वर्षा होने से सूखा से तो निजात मिली किन्तु लोगो का आर्थिक संकट अभी तक दूर नहीं हो सका . पिछले वर्षों के अकाल ने बुंदेलखंड क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था,लोग दाने-दाने को मोहताज़ हो गए थे ,लोग और उनके मवेशी बूँद -बूँद पानी के लिए तरसने को मजबूर थे ,खेतों में एक-एक मीटर गहरीं दरारें पद गयीं थीं .किन्तु इस वर्ष अच्छी बारिश हो जाने से बुन्देलखण्ड के लोगो को मनो जान ही मिल गयी थी.परन्तु खरीफ की फसल अति वर्षा की भेंट चढ़ गयी और रबी की फसल के लिए खाद-बीज के लिए पैसे न होने केचलते लोग मन मसोस कर रह गए. इतना ही नहीं पानी बरस जाने से बाद से वे सारी सरकारी सहायतायें भी बंद कर दीं गयीं थीं जो सूखे दौरान क्षेत्र के लोगो को मिल रहीं थीं.
कुछ लोगो ने पुनः क़र्ज़ काढ कर खाद, बीज का जुगाड़ तो कर लिया और बुबाई भी कर दी,किन्तु फसल आने में तो अभी तीन महीने शेष हैं,पेट की भी चिंता है, साहूकारों का क़र्ज़ भी उतारना है इसलिए लोग मजबूर होकर मजदूरी की खातिर महानगरों के लिए पलायन कर रहे हैं. रोज़ हजारों युवक दिल्ली मुम्बई के लिए प्रस्थान कर रहे हैं,फलस्वरूप यहाँ के गावों में बुजुर्ग और महिलाएं ही शेष रह गए है, गाँव के गाँव खाली हो गये हैं.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार बुंदेलखंड की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में अभी वक्त लगेगा ,इसलिए यहाँ के लोगों को जो सरकारी सहायताये सूखे के दौरान दी जाती थीं वे अभी बंद नहीं की जानी चाहिए, इतना ही नहीं बल्कि खाद,बीज,सिंचाई,लगान आदि में भी राहत की पेशकश सरकारों की तरफ से की जानी चाहिए.

बुंदेलखण्ड के लोगों का शोषण किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा : संजय पाण्डेय

नई दिल्ली। बुंदेलखण्ड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय पाण्डेय ने कहा कि आज़ादी के साठ वर्ष हो चुके हैं फ़िर भी बुन्देलखंड क्षेत्र विकास की दृष्टि से वही का वही है । पाण्डेय ने कहा कि इन साठ वर्षों में जितना शोषण बुंदेलखंड के लोगों का हुआ शायद देश में और कही नही हुआ।आज़ादी के पूर्व इस क्षेत्र को सामंतवादी राजाओं ने शोषित रखा ,किंतु दुःख की बात तो यह है कि स्वतंत्रता के बाद भी इस क्षेत्र को शोषण से मुक्ति नही मिली ।केन्द्र और राज्य सरकारों को अरबों रुपये का राजस्व खनिज संसाधनों के रूप में इस क्षेत्र से मिलता है , बदले में इस क्षेत्र के लोगों को मिलती है बदहाली। क्या यह राजनीतिक शोषण नही है? लगभग शून्य औद्योगीकरण वाले इस भाग में रोजगार के साधनों का पूर्णतया अभाव है । यदि यहाँ का निवासी खेती भी करना चाहे तो यहाँ की सिचाई प्रणाली अंग्रेजों के ज़माने की है । या तो पानी के अभाव में भूमि परती पड़ी रहती है या फ़िर खेतों में सूखे से पड़ी दरारें भगवान भरोसे बारिश का इंतजार करती रहती हैं। केन्द्र सरकार से तो कभी कोई खास सहायता मिलती नही है ,राज्य सरकारें भी इसलिए इसके साथ सौतेलापन दिखाती हैं क्यों कि आधा बुंदेलखण्ड उत्तर प्रदेश में आता है और आधा मध्य प्रदेश में । इसलिए दो राज्यों के बीच फंसे इस भाग को बदले में उपेक्षा ही हाथ लगती है ।आज बुन्देलखंड के नौजवानों की बात तो दूर यहाँ के बूढे और बच्चे भी दिल्ली,बम्बई और सूरत के लिए पलायन कर रहे हैं। वे अपने घरों को छोड़कर महानगरों के लिए पलायन जिंदा रहने के लिए कर रहे हैं न कि ऐशो आराम के लिए । दिल्ली में बुन्देलखंडी लोगों की छवि एक तसला ढोने वाले श्रमिक से ज्यादा नही रही ।पिछले वर्षों में भुखमरी और तंगहाली से जूझ रहे न जाने कितने किसानो ने आत्म हत्या की , किंतु सरकारों ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी नही ली । आज बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी का गठन बुन्देलखंड के लोगों को अपने हक़ के लिए संघर्ष करने के लिए एक राजनीतिक मंच मुहैया करवाने की दृष्टि से किया गया है । पार्टी बुन्देलखंड के लोगों को शोषण के विरुद्ध खड़े होने के लिए जागरुक कर रही है । पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि या तो इस क्षेत्र को इतना विकसित कर दिया जाए कि यह भी देश के अन्य हिस्सों की तरह सम्रद्ध हो जाए या फ़िर इसे अलग राज्य बना दिया जाए ताकि शासन और प्रशासन की उपेक्षा से मुक्त होकर विकास की दृष्टि से आत्मनिर्भर हो सके । उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड के लोगों का शोषण अब किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा

बुंदेलखंड के जन प्रतिनिधि एक जुटता दिखाएँ : संजय पाण्डेय

छतरपुर(म.प्र.). बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय ने सघन जनसंपर्क के दौरान छतरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जब तक बुंदेलखंड क्षेत्र के सांसद और विधायक पृथक बुंदेलखण्ड राज्य की बात सदनों में नहीं उठाएंगे तब तक यह मांग हवा हवाई ही बनी रहेगी.उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य का हवाला देते हुए कहा कि वहां के जन प्रतिनिधियों की एकजुटता से ही वह अलग राज्य बना था, ठीक उसी तरह बुन्देलखंड के जन प्रतिनिधियों को भी अपनी पार्टी प्रोटोकाल से हटकर बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के मुद्दे पर एकजुटता दिखानी चाहिए. पाण्डेय ने कहा कि बुंदेलखंड राज्य बनाये जाने कि मांग बहुत पुरानी है , किन्तु यह मांग अब तक इसलिए क्रियान्वित नहीं हो सकी क्योंकि यहाँ के सांसदों और विधायकों ने इस मांग को कभी संसद और विधान सभा में नहीं मजबूती से उठाया,पर यदि इस मांग को संवैधानिक शक्ति प्रदान करना है तो बुंदेलखंड के जन प्रतिनिधियों को एक मत होकर इस आवाज को उठाना होगा.

सोमवार, 15 दिसंबर 2008

बुन्देलखण्ड राज्य

"बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी " द्वारा प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य में कुछ जिले उत्तर प्रदेश के तथा कुछ मध्य प्रदेश के हैं,वर्तमान में बुन्देलखण्ड क्षेत्र की स्तिथि बहुत ही गंभीर है । यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह अत्यंत पिछड़ा है । इसका मुख्य कारण है,राजनीतिक उदासीनता। न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें इस क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर हैं । इसलिए इस क्षेत्र के लोग अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग लम्बे समय से करते आ रहे है। पिछले कुछ समय से बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के नेत्रत्व में यह आन्दोलन काफी हद तक प्रभावी साबित हुआ है क्यों कि इस पार्टी द्वारा आयोजित विभिन्न धरनों और रैलियों के माध्यम से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सोचने को विवश हुए है। प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य में उ.प्र. के महोबा,झाँसी,बांदा,ललितपुर,जालौन,हमीरपुर और चित्रकूट जिले शामिल हैं, जबकि म.प्र. के छतरपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, दतिया, भिंड, सतना आदि जिले शामिल हैं। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि यदि बुंदेलखंड राज्य का गठन हुआ तो यह देश का सबसे विकसित प्रदेश होगा। प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य की आबादी चार करोड़ से भी अधिक होगी। जनसँख्या के हिसाब से यह देश का नौंवा सबसे बड़ा राज्य होगा ।प्रस्तावित राजधानी झाँसी है.

मंगलवार, 9 दिसंबर 2008

बुंदेलखंड

"बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी " द्वारा प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य में कुछ जिले उत्तर प्रदेश के तथा कुछ मध्य प्रदेश के हैं,वर्तमान में बुंदेलखंड क्षेत्र की स्तिथि बहुत ही गंभीर है । यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह अत्यंत पिछड़ा है । इसका मुख्य कारण है,राजनीतिक उदासीनता। न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें इस क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर हैं । इसलिए इस क्षेत्र के लोग अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग लम्बे समय से करते आ रहे है. पिछले कुछ समय से बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के नेत्रत्व में यह आन्दोलन काफी हद तक प्रभावी साबित हुआ है क्यों कि इस पार्टी द्वारा आयोजित विभिन्न धरनों और रैलियों के माध्यम से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सोचने को विवश हुए है। प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य में उ.प्र. के महोबा,झाँसी,बांदा,ललितपुर,जालौन,हमीरपुर और चित्रकूट जिले शामिल हैं, जबकि म.प्र. के छतरपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, दतिया, भिंड, सतना आदि जिले शामिल हैं। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि यदि बुंदेलखंड राज्य का गठन हुआ तो यह देश का सबसे विकसित प्रदेश होगा। प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य की आबादी चार करोड़ से भी अधिक होगी। जनसँख्या के हिसाब से यह देश का नौंवा सबसे बड़ा राज्य होगा ।
प्रस्तावित राजधानी झाँसी है.

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

एक मांग ,एक लक्ष्य - पृथक बुंदेलखंड राज्य : संजय पाण्डेय

बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय पाण्डेय ने कहा कि बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी का एक मात्र लक्ष्य है पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण .क्योंकि पार्टी का मानना है कि जब तक बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता तब तक इस क्षेत्र का विकास संभव नहीं है .इसलिए बुंदेलखंड के नौ जवान इस पार्टी से जुड़े और बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए चल रहे इस आन्दोलन को मजबूती प्रदान करे.

अपने हक़ के लिए उठो बुंदेलों, जगो बुंदेलों : संजय पाण्डेय

बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय पाण्डेय ने बुंदेलखंड के लोगो का आह्वान करते हुए कहा कि बुंदेलखंड से अगर बदहाली को दूर करना है तो सबसे पहले हमें जागरूक होना पड़ेगा क्यों कि देश कि सभी पार्टियों ने बुंदेलखंड क्षेत्र को इसलिए उपेक्षित रखा क्यों कि हम लोगो में जागरूकता की कमी थी इसलिए अब उठो और जगो अपने हक़ के लिए.
 
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