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सोमवार, 22 दिसंबर 2008

बुंदेलखण्ड के लोगों का शोषण किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा : संजय पाण्डेय

नई दिल्ली। बुंदेलखण्ड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय पाण्डेय ने कहा कि आज़ादी के साठ वर्ष हो चुके हैं फ़िर भी बुन्देलखंड क्षेत्र विकास की दृष्टि से वही का वही है । पाण्डेय ने कहा कि इन साठ वर्षों में जितना शोषण बुंदेलखंड के लोगों का हुआ शायद देश में और कही नही हुआ।आज़ादी के पूर्व इस क्षेत्र को सामंतवादी राजाओं ने शोषित रखा ,किंतु दुःख की बात तो यह है कि स्वतंत्रता के बाद भी इस क्षेत्र को शोषण से मुक्ति नही मिली ।केन्द्र और राज्य सरकारों को अरबों रुपये का राजस्व खनिज संसाधनों के रूप में इस क्षेत्र से मिलता है , बदले में इस क्षेत्र के लोगों को मिलती है बदहाली। क्या यह राजनीतिक शोषण नही है? लगभग शून्य औद्योगीकरण वाले इस भाग में रोजगार के साधनों का पूर्णतया अभाव है । यदि यहाँ का निवासी खेती भी करना चाहे तो यहाँ की सिचाई प्रणाली अंग्रेजों के ज़माने की है । या तो पानी के अभाव में भूमि परती पड़ी रहती है या फ़िर खेतों में सूखे से पड़ी दरारें भगवान भरोसे बारिश का इंतजार करती रहती हैं। केन्द्र सरकार से तो कभी कोई खास सहायता मिलती नही है ,राज्य सरकारें भी इसलिए इसके साथ सौतेलापन दिखाती हैं क्यों कि आधा बुंदेलखण्ड उत्तर प्रदेश में आता है और आधा मध्य प्रदेश में । इसलिए दो राज्यों के बीच फंसे इस भाग को बदले में उपेक्षा ही हाथ लगती है ।आज बुन्देलखंड के नौजवानों की बात तो दूर यहाँ के बूढे और बच्चे भी दिल्ली,बम्बई और सूरत के लिए पलायन कर रहे हैं। वे अपने घरों को छोड़कर महानगरों के लिए पलायन जिंदा रहने के लिए कर रहे हैं न कि ऐशो आराम के लिए । दिल्ली में बुन्देलखंडी लोगों की छवि एक तसला ढोने वाले श्रमिक से ज्यादा नही रही ।पिछले वर्षों में भुखमरी और तंगहाली से जूझ रहे न जाने कितने किसानो ने आत्म हत्या की , किंतु सरकारों ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी नही ली । आज बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी का गठन बुन्देलखंड के लोगों को अपने हक़ के लिए संघर्ष करने के लिए एक राजनीतिक मंच मुहैया करवाने की दृष्टि से किया गया है । पार्टी बुन्देलखंड के लोगों को शोषण के विरुद्ध खड़े होने के लिए जागरुक कर रही है । पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि या तो इस क्षेत्र को इतना विकसित कर दिया जाए कि यह भी देश के अन्य हिस्सों की तरह सम्रद्ध हो जाए या फ़िर इसे अलग राज्य बना दिया जाए ताकि शासन और प्रशासन की उपेक्षा से मुक्त होकर विकास की दृष्टि से आत्मनिर्भर हो सके । उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड के लोगों का शोषण अब किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा

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