"बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी " द्वारा प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य में कुछ जिले उत्तर प्रदेश के तथा कुछ मध्य प्रदेश के हैं,वर्तमान में बुंदेलखंड क्षेत्र की स्तिथि बहुत ही गंभीर है । यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह अत्यंत पिछड़ा है । इसका मुख्य कारण है,राजनीतिक उदासीनता। न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें इस क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर हैं । इसलिए इस क्षेत्र के लोग अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग लम्बे समय से करते आ रहे है. पिछले कुछ समय से बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के नेत्रत्व में यह आन्दोलन काफी हद तक प्रभावी साबित हुआ है क्यों कि इस पार्टी द्वारा आयोजित विभिन्न धरनों और रैलियों के माध्यम से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सोचने को विवश हुए है। प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य में उ.प्र. के महोबा,झाँसी,बांदा,ललितपुर,जालौन,हमीरपुर और चित्रकूट जिले शामिल हैं, जबकि म.प्र. के छतरपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, दतिया, भिंड, सतना आदि जिले शामिल हैं। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि यदि बुंदेलखंड राज्य का गठन हुआ तो यह देश का सबसे विकसित प्रदेश होगा। प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य की आबादी चार करोड़ से भी अधिक होगी। जनसँख्या के हिसाब से यह देश का नौंवा सबसे बड़ा राज्य होगा ।
प्रस्तावित राजधानी झाँसी है.
मंगलवार, 9 दिसंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
किसकी मांग, किसका सपना? पृथक बुंदेलखंड की मांग एक बचपना है और इससे किसी को कुछ नही मिलेगा. यहाँ की जनता ने यह मांग कभी नही उठाई लेकिन कुछ मतलब परस्त इसे जिन्दा रखे हैं. लोगों को भ्रमित नही करें.
एक टिप्पणी भेजें